Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (1)




ये कहानी ओर इससे जुड़े सभी पात्र काल्पनिक हैं..। इसका किसी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं हैं....। कृपया विवेक से काम ले....। ये कहानी सिर्फ मनोरंजन के लिए लिखी गई हैं...। 

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सबसे पहले इस कहानी के मुख्य पात्र से आपको मिलवाती हूँ। 

रश्मि.... 

सीधी सादी, सादगी से परिपूर्ण....... 
दुनिया की दिखावट से बिल्कुल दूर। 
अपने परिवार के साथ बड़ी ही खुशी से रहतीं थीं। 


लेकिन सिर्फ दुनिया को दिखाने के लिए। 
अन्दर ही अन्दर वो टुटी हुई थी। आखिर ऐसा क्यूँ था.... उसका जवाब शायद रश्मि के पास भी नहीं था....। 

कहने को सब कुछ था। 
लेकिन फिर भी तन्हा। 

अजय ,विकी , सोनल के बाद रश्मि। 
कहते हैं घर का सबसे छोटा सबसे ज्यादा लाडला होता है। 
लेकिन रश्मि के साथ ऐसा बिल्कुल नहीं था। 

लेकिन फिर भी वो खुश रहतीं थीं। घर में रश्मि को चाहे कोई प्यार करें ना करें..... पर रश्मि के दिल में सभी के लिए बहुत प्यार था....। वो सबसे ज्यादा अपनी माँ से बहुत प्यार करतीं थीं...। उम्र में भले ही सबसे छोटी थीं..... पर बेहद समझदार थीं....। 
सभी मध्यम वर्गीय परिवार की तरह रश्मि की पढ़ाई एक साधारण से विधालय में हुई...। 

रश्मि ने आठवीं तक हिन्दी मिडियम में अपनी पढाई की। 
फिर घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से सरकारी स्कूल में आगे की पढ़ाई करने लगी। रश्मि पढ़ाई में अपने बाकी सभी भाई बहन से ज्यादा तेज़ थीं...। 

पढने का जुनून था उस पर। 
कुछ करने के सपने थे। 
जिंदगी में एक मुकाम हासिल करना चाहती थी। 


कक्षा में वो हमेशा अव्वल आतीं थीं। 
इसलिए उसे कोई फर्क नहीं पड़ा कि स्कूल सरकारी है या प्राइवेट। 

उसे पढने का अवसर मिल रहा था ये ही बहुत था। 

वक्त बितता गया। 
और रश्मि अब बारहवीं पास कर चुकीं थी। 
पढाई के साथ साथ खेल- कुद में भी वो बहुत आगे थी। 

अपने घर के बाहर बनें छोटे से बगीचे मे वो अक्सर मोहल्ले के बच्चों के साथ वहाँ खेला करती थीं। 

उसके इस तरह खेलने पर बहुत बार उसके भाईयों से और मम्मी से मार भी पड़ चुकीं थीं। 

लेकिन फिर भी उसे एक सुकून मिलता था। 
वो छुप छुप कर भी खेलने चलीं जाती थी। 

खेलों में उसे खासकर क्रिकेट बहुत पसंद था...। गली क्रिकेट में तो वो मास्टर थी...। उसके सपने इसी क्षेत्र में आगे बढ़ने के थे...। वो घर पर बिना बताएं बहुत बार स्कूल की टीम में भी खेलतीं थीं...। 

बारहवीं के बाद उसने कालेज में दाखिला लिया। 
और वही से उसकी जिन्दगी में ऐसे ऐसे मोड़ आयें की
उसकी जिन्दगी उलझती ही चलीं गई।


आगे की कहानी रश्मि की जुबानी..... 

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प्यार का एहसास क्या होता है ये तब तक कोई समझ नहीं सकता जब तक उसे खुद हो ना जाए। मुझे भी हुआ लेकिन जिन्दगी के उस मुकाम पर आकर जहाँ से उसी एहसास को मुझे अपने हाथों से खत्म करना पड़ा। 

मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से हूँ। एक बहन ,दो भाई, मम्मी, पापा और मैं.....।हम अपने आप में हर छोटी बड़ी खुशी मना लेते थे। 

सब कुछ था मेंरे पास । लेकिन फिर भी मैं खुश नहीं थी। 
क्योंकि मैं उस परिवार की होकर भी उनकी कुछ नहीं थी। 

सोच में पड़ गए ना कि ऐसा कैसे हो सकता है।

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मेरी जिंदगी के कुछ खट्टे मीठे अहसास पढ़ते हैं अगले भाग में....। 



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11 Comments

HARSHADA GOSAVI

27-Aug-2023 07:20 AM

nice

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RISHITA

21-Aug-2023 04:47 PM

Nice one

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madhura

19-Aug-2023 06:37 AM

nice

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